Saturday, November 21, 2009

कम कीमत में बेहतर इलाज की मिसाल है जन स्वास्थ्य सहयोग

अंग्रेजी के टी आकार के बरामदा में लोगों की भीड़ जमा है। सुबह के आठ बजे हैं। इन लोगों मे कई पिछली रात ही यहां पहुंच गए थे। जंगल के दूरदराज के गांवों के ये लोग यहां इलाज कराने के लिए आए हैं। डाक्टर को दिखाने के लिए यहां लाइन में लगना पड़ता है। नंबर लगाने के लिए बरामदे की पट्टी पर अपना गमछा या रस्सी बांध देते हैं। सबको डाक्टर का इंतजार है। यह आम दृ’य है छत्तीसगढ़। के बिलासपुर जिले के एक छोटे से कस्बे गनियारी का। गनियारी बिलासपुर से दक्षणि में 20 किलोमीटर दूर स्थित है।

अब डाक्टरों की गाड़ी आ गई है और बिना देर किए प्रारंभ हो जाता है मरीजों को देखने का सिलसिला। यहां सबसे पहले मरीजों की बात सुनी जाती है फिर जांच की जाती है और बाद में उपचार। डाक्टर पूछते हैं- क्या बीमारी है? जबाव आता है- खांसी। कब से है- बहुत दिनों से । क्या इलाज कराया- दुकान से दवा लेकर खाता रहा। बाद में मुझे डाक्टर ने बताया इस मरीज को टी। बी. है। इसे लापरवाही कहना भी जल्दबाजी होगी क्योंकि इसकी वजहें हैं। लोगों की अपनी कई समस्याएं हैं। वे गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, कुपोषण जैसी कई समस्याओं से चौतरफा घिरे हुए हैं।

इस गैर सरकारी जन स्वास्थ्य सहयोग केन्द्र की स्थापना 1999 में हुई। देश की मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं की हालत से चिंतित दिल्ली के कुछ डाक्टरों ने इसकी शुरूआत की। इससे पहले उन्होंने देश भर में घूमकर ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया जहां वे अपनी सेवाएं दे सके। और अंतत: देश के गरीब इलाकों मे एक छत्तीसगढ के एक छोटे कस्बे में उन्होंने काम प्रारंभ किया। देश के सबसे चोटी के अस्पताल आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (एम्स) से निकले युवा डाक्टरों ने यहां गरीबों के लिए स्वास्थ्य का अनूठा अस्पताल बनाया है। उनका यह काम पिछले करीब 10 सालों से चल रहा है। अपने पेशे में गहरी निष्ठा वाले यह चिकित्सक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई नए प्रयोग कर रहे हैं।

कम कीमत में बेहतर इलाज किया जाता है। इस केन्द्र का उद्देशय है कि ग्रामीण समुदाय को सशक्त कर बीमारियों की रोकथाम और इलाज करना। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य समस्याओं का अध्ययन करना, उनकी पहचान करना और कम कीमत में उचित इलाज करना। इस केन्द्र की उपयोगिया का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2000 में बिना किसी उद्घाटन के ओ।पी.डी. शुरू हुई और मात्र 3 महीने के अंदर ही यहां प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या 250 तक पहुंच गई।

गनियारी में जन स्वास्थ्य का प्रमुख केंद्र स्थित है। यहां 15 बिस्तर का अस्पताल है। आपरेशन थियेटर है जो सप्ताह में तीन दिन चलता है। यहां 12 पूर्णकालिक डाक्टर हैं। यहां के जांच कक्ष में सभी तरह की जांच की जाती है। 80 प्रिशक्षति कर्मचारियों का स्टाफ है। दूरदराज के और गंभीर मरीजों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। यहां करीब 11 सौ गांवों के लोग इलाज कराने आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों से जुड़े इच्छुक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी प्रिशक्षति किया जाता है।

सामुदायिक कार्यक्रम के प्रमुख डा। योगेश जैन कहते हैं कि हमारे काम की सीमा है, सरकार ही इस काम को बेहतर ढंग से कर सकती है। लोगों को पीने का साफ पानी भी उपलब्ध नहीं है। बहरहाल, यह कहा जा सकता है कि यह प्रयोग अंधेरे में उम्मीद बंधाता है जो सराहनीय होने के साथ-साथ अनुकरणीय भी है।

यह रपट दो वर्ष पहले बनाई गयी थी पर आज भी गनियारी में जन स्वास्थ्य सहयोग केन्द्र संचालित किया जा रहा है। रपट के कुछ अंश प्रस्तुत हैं।

4 comments:

  1. काश सारा हिन्दुस्तान पहल कर दे इस गांव के सामुदायिक पहल पर

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  2. गनियारी के जन स्वास्थ्य केन्द्र के बारे में जानकर खुशी हुई । टिप्पणी के लिए word verification की बाध्यता हटा दें।इससे होने वाले झंझट के कारण टिप्पणियां कम आती हैं ।

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  3. अच्छी रचना। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।

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  4. सरकार को यहा दूर से आने वाले लोगों को सुविधा देनी चाहिए

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