Tuesday, October 23, 2012

एनिमल फार्म

इन दिनों मेरा इटारसी आना-जाना काफी हो रहा है। करीब डेढ़ घंटे ट्रन का सफर। खिड़की से लम्बवत सतपुड़ा की पहाडि़यां दिखार्इ देती हैं, जो बहुत भाती हैं। मेरे झोले में अखबार और किताबें रहती हैं, जिनसे मेरा सफर कब कट जाता है, पता ही नहीं चलता।
कल मैंने जार्ज आरवेल की मशहूर किताब एनिमल फार्म पढ़ी। यह अदभुत किताब है। रूसी क्रांति के असफल होने के बहुत पहले आर्इ इस किताब ने उथल-पुथल मचा दी थी। यह एक ऐसे फार्म की कहानी है जिस पर सुअरों के नेतृत्व में जानवरों ने कब्जा कर लिया था। इसे पहले मैनर फार्म कहा जाता था जिसे बाद में एनिमल फार्म का नाम दे दिया गया।
कहानी कुछ तरह शुरू होती है कि मेजर नाम के सुअर ने ऐसा सपना देखा कि इंसान ही जानवरों का शत्रु हैं और हर जानवर मित्र। जानवरों में एकता होना चाहिए।
मेजर की जल्द ही मौत हो जाती है, वह बूढ़ा हो चुका था। लेकिन उसके विचार को नेपोलियन, स्नोबाल, और स्क्वीलर नामक तीन युवा सुअरों ने एक विचारधारा का रूप दे दिया और इसका वाद भी बनाया-जानवरवाद।
इसके सात नियम भी बनाए गए। जिसमें एक-जो दो पैरों पर चलता हो, वह शत्रु है। दो, जो चार पैरों पर चलता हो या जिसके पंख हों, मित्र है। तीन, कोर्इ भी जानवर कपड़े नहीं पहनेगा। चार, कोर्इ भी जानवर बिस्तर पर नहीं सोएगा। पांच, कोर्इ भी जानवर शराब नहीं पिएगा। छह, एक जानवर दूसरे जानवर को नहीं मारेगा। सात, सभी जानवर समान है।
लेकिन धीरे-धीरे इन नियमों को सुअरों ने अपने लिए शिथिल कर लिया। जब ये सवाल उठा कि गायों के दूध का क्या होगा, उन्होंने इस सवाल को टाल दिया। बाद में पता चला कि दूध उनकी सानी में मिलाया जा रहा था। बूढ़ी घोड़ी को सजने-संवरने की इच्छा हुर्इ तो उसे गुलामी की निषानी बताया गया।
इन जानवरों की पढ़ार्इ-लिखार्इ की व्यवस्था की गर्इ, लेकिन सुअर तो पढ़ने-लिखने में दक्ष हो गए। दूसरे जानवर ज्यादा कुछ नहीं सीख पाए। इनमें से कुछ सिर्फ इतना ही सीख पाए कि वे नियम पढ़ सकें।
बाक्सर जो मेहनती घोड़ा था, उसे बूढ़ा होने पर बूचड़खाने भेज दिया गया। यह कहकर कि पशु चिकित्सालय इलाज के लिए ले जाया रहा है। नेपोलियन, जो फार्म का मुखिया था, उसे बाक्सर की बहुत चिंता है, ऐसा कहा गया। लेकिन वास्तव में उसे काटा जा चुका था।
इस बीच सुअरों की सुविधाओं में इजाफा होता गया। नेपोलियन ने अपने विरोधी सुअरों को रास्ते से अलग कर दिया। और वह खुद मुखिया बन जाता है। वे शराब पीने लगे। गददों पर सोने लगे। कपड़े अच्छे पहनने लगे। वे सब वो काम करने लगे जो उनके बनाए हुए नियमों के खिलाफ थे।
अंत में जब बहुत शोरगुल सुनार्इ देता है तो सब जानवर एकत्र हो जाते हैं खिड़की से जो देखते हैं उससे हैरान हो  जाते हैं। नेपोलियन एक आदमी के साथ ताष के पत्ते खेल रहा था। उसने अच्छी रंग-बिरंगी पोशाक पहने थी। कभी जानवर नेपोलियन को देखते कभी उस इंसान को, जो उसके साथ ताष खेल रहा था। दोनों में कोर्इ फर्क नजर नहीं आ रहा था।
यह पूरा उपन्यास रूसी क्रांति के बाद रूस की सिथति पर आधारित है। उपन्यास अदभुत, रोचक है और कसा हुआ है। इसे दुबारा पढ़ने का मन है।


2 comments:

  1. बाबा, आप ब्लाग पर लौट आए, स्वागत है। अपने अनुभवों से ब्लाग को समृद्ध करते रहे। इससे बहुत लोगों का फायदा होगा। बहरहाल आपने एक अच्छी किताब की याद दिलाई है। इसे मैंने 1980 के आसपास पढ़ा था और इसका बहुत असर भी हुआ था। यह कालजयी किताब है जिसमें जार्ज आरविल ने रूसी क्रांति के बाद की व्यवस्था को एनिमल फार्म की संज्ञा दी है। निरंतरता बनाए रखें और पिछली मुलाकात में जो तय हुआ था, उसका पालन करें। शुभकामनाएं।

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  2. यह किताब हमारे कोर्स में थी. क्या इस किताब की कहानी भारत पर पूरी तरह से लागू नहीं होती?

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