तभी उन्हें इस नए स्कूल का पता चला। तोत्तो चान अपनी मां के साथ इस स्कूल में दाखिले के लिए तो डरी-सहमी थी लेकिन वहां का माहौल देखते उसका डर धीरे-धीरे खुषी में बदल गया। उसे यह जानकर हैरानी हुर्इ कि उसका स्कूल एक रेल डिब्बे में है, किसी बिलिडंग में नहीं।
तोत्तो ने अपनी मां से सवाल पूछा कि हेडमास्टर हैं या स्टेशन मास्टर। तोत्तो ने ही जवाब दिया कि जब वे इतने रेल डिब्बों के मालिक हैं तो स्टेशन मास्टर हुए न।
हेडमास्टर जी ने तोत्तो की मां से कहा आप जा सकती है, मैं आपकी बेटी से बात करना चाहता हूं। पहले तोत्तो को लगा कि मैं क्या बात करूंगी। जब हेडमास्टर जी ने कहा कि अब तुम अपने बारे में मुझे बताओ। कुछ भी, जो तुम बताना चाहो, सब कुछ। तोत्तो ने कहा जो मुझे अच्छा लगे बताउ। उसने जो कुछ कहा वह अनगढ़ था। कभी वह जिस रेलगाड़ी से आर्इ थी उसके बारे में बताती। कभी अपने पुराने स्कूल की सुंदर शिक्षिका के बारे में तो कभी यह कि अबाबील का घोंसला कैसा है?
पापा और मम्मी कैसे हैं? मास्टर जी पूछते जाते, फिर। वह बताती जाती। फिर उसने अपनी सुंदर फ्राक के बारे में बताया। जब खूब सोचने पर भी कुछ नहीं बोली तब मास्टर जी ने कहा तोत्तो चान अब तुम इस स्कूल की छात्रा हो।
यह किताब काल्पनिक नहीं है, बलिक ऐसा स्कूल सचमुच था, जिसे कोबाया ने बड़े जतन से बनाया था। जापान में तोत्तो अब एक मशहूर दूरदर्षन कलाकार के रूप में जानी जाती है, जिन्होंने यह किताब लिखी है। यह किताब बेस्ट सेलर है। अगली किस्त में तोत्तो के बारे में और जानिए...
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